लेखक : मेहर-ए-आलम ख़ान मुख्य संपादक ‘नर्सरी टुडे’ वरिष्ठ पत्रकार, कम्युनिकेशन एक्सपर्ट , स्वास्थ्य, पर्यावरण और उर्दू साहित्य पर लेखन व प्रसारण में चार दशकों का अनुभव। ‘सिनेइंक पॉडकास्ट्स’ से भी जुड़े हैं । भारत में जुलाई का महीना आम के मौसम की पराकाष्ठा का प्रतीक है।यही वह समय है जब देश में आम का सर्वाधिक जश्न मनाया जाता है।दिल्ली, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों में आम महोत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य आम की विविधता और महिमा को प्रदर्शित करना, आम-संस्कृति, आम-व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देना, आम-निर्यात को प्रोत्साहित करना और सबसे बढ़कर भारत कीएक अत्यंत प्रिय धरोहर का उत्सव मनाना होता है। फलों का राजा कहलाने वाला आम भारत की अद्भुत सांस्कृतिक संपन्नता और आनंददायक विविधता का जीवंत प्रतीक है। यह स्वादिष्ट फलभारत के गौरवशाली इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। यह सदियों से भारतीय जनमानस के हृदय और स्वाद पर राज करता आ रहा है। कुछ जीवाश्म प्रमाणों के आधार पर पुराजीव वैज्ञानिक मानते हैं कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में आम लगभग 25 से 30 मिलियन वर्ष (कुछ मतों केअनुसार 60 मिलियन वर्ष) पहले से मौजूद है।) भारत में आम की व्यवस्थित खेती का इतिहास चार हजार वर्षों से भी अधिक पुराना है, जबकि पश्चिमी जगत में आम केवल चार सौ वर्ष पूर्व ही पहुंच पाया।आज भारत न केवल आम का जन्मस्थल है, बल्कि आम उत्पादन में विश्व में अग्रणी भी है। यही कारण है कि भारत को “आमों की धरती” भी कहा जाता है। आम तीन देशों – भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस – का राष्ट्रीय फल है। बांग्लादेश में आम का पेड़ राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्रखता है। भारत के अलावा चीन, थाईलैंड, मैक्सिको, पाकिस्तान, फिलीपींस, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, ब्राज़ील, नाइजीरिया, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन आदि देशों में भी आम पैदा होता है। भारतीय धार्मिक परंपराओं में भी आम का विशेष स्थान है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों जैसे प्राचीन ग्रंथों में आम का उल्लेख मिलता है।वैदिक साहित्य में आम को ‘सहकरा’ या ‘सहकारा’ कहा गया है।पुराणों और उपनिषदों में आम के पेड़ों की कटाई को सख्त मना कियागया है। रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में आम को कल्पवृक्ष कहागया है – ऐसा वृक्ष जो सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है। हिंदूपरंपराओं में आम के पेड़ को पवित्र माना जाता है। आम के पत्तों कीतोरण द्वारों पर लगाई जाती है और धार्मिक अनुष्ठानों में इसका उपयोगशुद्धता और दिव्यता के प्रतीक के रूप में किया जाता है। विवाह, दीपावली और पूजा-पाठ के अवसरों पर आम के पत्तों की तोरणसजावट का आम दृश्य है। यहाँ तक कि हवन में भी आम की लकड़ी का उपयोग होता है। बौद्ध साहित्य में भी आम के पेड़ और फल की पवित्रता का उल्लेख है।बौद्ध मान्यता में आम को ज्ञान और उदारता का स्रोत माना गया है। एकप्रसिद्ध कथा के अनुसार आम्रपाली नामक राजनर्तकी और भगवान बुद्धकी भक्त ने उन्हें एक आम का बाग़ उपहार स्वरूप दिया था जहाँ वे […]
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