पौधशालाओंमेंयुवाओंकीभागीदारी: भारत के हरे-भरे भविष्य के लिए ज़रूरी

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर विशेष मेहर ए आलम ख़ान मुख्य संपादक, ‘नर्सरी टुडे’, नई दिल्ली सलाहकार, सिनेइंक पॉडकास्ट्स, लंदन हर साल 12 अगस्त को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय  युवा दिवस (International Youth Day) मनाती है—यह दिन संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा युवाओं के वैश्विक प्रगति में योगदान को मान्यता देने के लिए निर्धारित किया गया है। इस […]

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आईएएमआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा ‘सृजन’ ओरिएंटेशन प्रोग्राम का भव्य शुभारंभ

गाजियाबाद: आईएएमआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने 7 दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम ‘सृजन’ का भव्य शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नए विद्यार्थियों को मीडिया जगत की बारीकियों से परिचित कराना और उन्हें पत्रकारिता के बदलते परिवेश के लिए तैयार करना है। कार्यक्रम के पहले दिन के मुख्य वक्ता ‘दैनिक अथाह’ […]

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अमर क्रान्तिकारी बाबा शाहमल सिंह जाट

लेखक- डा. सुशील भाटी सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में 4 जुलाई को पांचली और 9 जुलाई को सीकरी में हुई शहादत के बाद, मेरठ के आसपास माहौल कुछ शान्त हुआ, तो अंग्रेजों पश्चिम की ओर मुडे जिससे कि वे दिल्ली की फील्ड फोर्स के साथ अपने संचार को सुरक्षित कर सकें। बागपत में यमुना […]

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‘फाइनल फुटप्रिंट’: यादों, भावनाओं और नए सफर की शानदार सांस्कृतिक विदाई

आईएएमआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने बीएजेएमसी (2022–25) बैच के लिए विदाई समारोह फाइनल फुटप्रिंट का आयोजन कर एक यादगार शाम रच दी। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि छात्रों की भावनाओं, शिक्षक–छात्र संबंधों और भविष्य के सपनों का एक खूबसूरत संगम था। फेयरवेल की इस शाम में जहाँ एक […]

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आम— भारत की गौरवशाली विरासत

लेखक : मेहर-ए-आलम ख़ान मुख्य संपादक ‘नर्सरी टुडे’ वरिष्ठ पत्रकार, कम्युनिकेशन एक्सपर्ट , स्वास्थ्य, पर्यावरण और उर्दू साहित्य पर लेखन व प्रसारण में चार दशकों का अनुभव। ‘सिनेइंक पॉडकास्ट्स’ से भी जुड़े हैं । भारत में जुलाई का महीना आम के मौसम की पराकाष्ठा का प्रतीक है।यही वह समय है जब देश में आम का सर्वाधिक जश्न मनाया जाता है।दिल्ली, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों में आम महोत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य आम की विविधता और  महिमा को प्रदर्शित करना, आम-संस्कृति, आम-व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देना, आम-निर्यात को प्रोत्साहित करना और सबसे बढ़कर भारत कीएक अत्यंत प्रिय धरोहर का उत्सव मनाना होता है। फलों का राजा कहलाने वाला आम भारत की अद्भुत सांस्कृतिक संपन्नता और आनंददायक विविधता का जीवंत प्रतीक है। यह स्वादिष्ट फलभारत के गौरवशाली इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। यह सदियों से भारतीय जनमानस के हृदय और स्वाद पर राज करता आ रहा है। कुछ जीवाश्म प्रमाणों के आधार पर पुराजीव वैज्ञानिक मानते हैं कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में आम लगभग 25 से 30 मिलियन वर्ष  (कुछ मतों केअनुसार 60 मिलियन वर्ष) पहले से मौजूद है।) भारत में आम की व्यवस्थित खेती का इतिहास चार हजार वर्षों से भी अधिक पुराना है, जबकि पश्चिमी जगत में आम केवल चार सौ वर्ष पूर्व ही  पहुंच पाया।आज भारत न केवल आम का जन्मस्थल है, बल्कि आम उत्पादन में विश्व में अग्रणी भी है। यही कारण है कि भारत को “आमों की धरती” भी कहा जाता है। आम तीन देशों – भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस – का राष्ट्रीय फल है। बांग्लादेश में आम का पेड़ राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्रखता है। भारत के अलावा चीन, थाईलैंड, मैक्सिको, पाकिस्तान, फिलीपींस, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, ब्राज़ील, नाइजीरिया, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन  आदि देशों में भी आम पैदा होता है। भारतीय धार्मिक परंपराओं में भी आम का विशेष स्थान है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों जैसे प्राचीन ग्रंथों में आम का उल्लेख मिलता है।वैदिक साहित्य में आम को ‘सहकरा’ या ‘सहकारा’ कहा गया है।पुराणों और उपनिषदों में आम के पेड़ों की कटाई को सख्त मना कियागया है। रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में आम को कल्पवृक्ष कहागया है – ऐसा वृक्ष जो सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है। हिंदूपरंपराओं में आम के पेड़ को पवित्र माना जाता है। आम के पत्तों कीतोरण द्वारों पर लगाई जाती है और धार्मिक अनुष्ठानों में इसका उपयोगशुद्धता और दिव्यता के प्रतीक के रूप में किया जाता है। विवाह, दीपावली और पूजा-पाठ के अवसरों पर आम के पत्तों की तोरणसजावट का आम दृश्य है। यहाँ तक कि हवन में भी आम की लकड़ी का उपयोग होता है। बौद्ध साहित्य में भी आम के पेड़ और फल की पवित्रता का उल्लेख है।बौद्ध मान्यता में आम को ज्ञान और उदारता का स्रोत माना गया है। एकप्रसिद्ध कथा के अनुसार आम्रपाली नामक राजनर्तकी और भगवान बुद्धकी भक्त ने उन्हें एक आम का बाग़ उपहार स्वरूप दिया था जहाँ वे […]

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अंतर्राष्ट्रीय योग संगोष्ठी में गूंजा भारत का योग-दर्शन

संपूर्ण विश्व को जोड़ने वाला सांस्कृतिक सेतु है योग: डॉ. के.के. सिंह मेरठ, 8 जून 2025:सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आज अंतर्राष्ट्रीय योग संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय ने यह आयोजन विदेशी संस्थाओं के सहयोग से किया, जिसमें देश-विदेश के प्रतिष्ठित योग विशेषज्ञों ने सहभागिता की। संगोष्ठी का आयोजन पशु […]

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माछरा महोत्सव @ 2025 …. 29 मई की रात बना इतिहास

Dr. Ravindra Rana/ Rajesh Sharma मेरठ जनपद का ऐतिहासिक गाँव माछरा, जिसने इस वर्ष अपनी स्थापना के 1267 वर्ष पूरे किए, वहाँ का स्थापना दिवस समारोह – ‘माछरा महोत्सव’ 29 मई की रात ऐतिहासिक उल्लास और भावनात्मक ऊर्जा के साथ संपन्न हो गया। इस आयोजन ने न सिर्फ माछरा गाँव को एक सांस्कृतिक मंच पर […]

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3 घंटे की सोशल मीडिया दुनिया और 21 घंटे का असली जीवन

पत्रकारिता से सोशल मीडिया तक: दो सदियों की यात्रा और तीन घंटे का धोखा पत्रकार, संपादक और अब यूपी के राज्य सूचना आयुक्त राजेन्द्र सिंह का वक्तव्य प्रस्तुति: Dr. Ravindra Rana /Rajesh Sharma हिंदी पत्रकारिता 30 मई से अपने 200वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। इसी अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त राजेन्द्र सिंह ने […]

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विपिन धनकड़ का नया उपन्यास जिसका विषय अस्पतालों की अंदरूनी दुनिया और बीमारी पर केंद्रित है, हिंदी में प्रकाशित। कवर पर अस्पताल का चित्र और उपन्यास का शीर्षक प्रमुख रूप से दिख रहा है।

इश्क और इलाज की दिलचस्प दास्तान! गेट वेल सून सोनम

Dr.Ravindra Rana / Rajesh Sharma अदब की दुनिया में इन दिनों कथ्य और शिल्प को लेकर गहरी बहसें चल रही हैं। कुछ लेखक कथ्य को केंद्र में रखकर समय की सच्चाइयों को दर्ज़ करने की कोशिश कर रहे हैं, तो कुछ शिल्प की परंपराओं से बँधे हुए हैं। इसी बहस के बीच पत्रकार और लेखक […]

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नंगला गौसाई — गांव नहीं, बदलाव की बुलंद आवाज़ है ये!

ग्राउंड रिपोर्ट: Dr.Ravindra Rana/ Rajesh Sharma साथ में Vaibhav Tripathi ये सिर्फ एक गाँव नहीं है…ये है उत्तर प्रदेश का भविष्य।नाम है — नंगला गौसाई, जिला मेरठ। गंगा के किनारे बसा, सात मजरों में फैला, करीब साढ़े चार हजार की आबादी वाला ये गांव अब पहचान बन गया है। पहचान सिर्फ खेतों, खलिहानों या पंचायत […]

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